Friday, 22 May 2020

VO HI JAIN HAI HA VO HI JAIN HAI

INSPIRATION: पूज्य आचार्यदेव श्री अरविंदसागरसूरीश्वरजी
महाराज
LYRICS: मुनि श्री हीरपद्मसागरजी महराज
VOICE: गौतम बारिया
PRESENTED BY: GBP ( GURU BHAKTA PARIVAR)


आखिर सच्चा जैन कौन है ?
मैं- आप या और ?
भगवान महावीरस्वामी किसे जैन बतलाते है ?
जैनत्व का गौरव या जैनत्व की अभिलाषा हममें कितनी जीवंत और
ज्वलंत है?
इन सबका समाधान लेकर आ रहा है - जैनों की एकता का सूर-स्वर और संकल्प
Lyrics
वोही जैन है...
ना श्वेताम्बर, ना ही दिगम्बर, ना तेरापंथी,
तीन थुई ना, चार थुई ना, कोई गच्छग्रंथी
नाम-नात ना देख तुं पगले, देख संबंध बस जैन
शासन की चिंता को लेकर दौड़े जो दिन-रैन...
की, वोही जैन है...हा वोही जैन है...
भूखे पेट सोए ना कोई भाई मेरा अपना
हाथ पसारे मांगे ना कोई ऐशा है सपना
ये संकल्प को लेकर निश्चित करले सुख और चैन
महावीर उसको बटलाये मेरा सच्चा जैन...
की, वो ही जैन है...वो ही जैन है...
वीर प्रभु की बाते जो अपनाए जीवनमें
सत्य का दीप जलाता है जो हर घर आंगन में
दूसरों की देखके पीड़ा भीगे जिसके नैन
सुखी बनाने सब जीवों को रहता जो बैचेन
की, वो ही जैन है...वो ही जैन है...

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