अरिहन्त के 12 गुण-
एक धारणा जो अरिहन्त का अर्थ तीर्थंकर मानती है उसके अनुसार अरिहन्त भगवान निम्न 12 गुणों से युक्त होते हैं- (1) अनन्त ज्ञान (2) अनन्त दर्शन (3 ) अनन्त चारित्र (4 ) अनन्त तप (5) अनन्त बलवीर्य
(6) अनन्त क्षायिक सम्यक्त्व (7 ) वज्र ऋषभनाराच संहनन ( 8) समचतुरस्र संस्थान ( 9) चौंतीस अतिशय
(10) पैंतीस वाणी के गुण (11) एक हजार आठ लक्षण ( 12) चौसठ इन्द्रों के पूज्य ।
कोई-कोई निम्नलिखित 12 गुण मानते हैं :-(1) अनन्त ज्ञान (2) अनन्त दर्शन (3) अनन्त चारित्र (4) अनन्त तप; और (5-12) आठ महाप्रतिहार्य-अशोक वृक्ष, सिंहासन, तीन छत्र, चौसठ चॅवर के जोड़े,
प्रभामण्डल अचित्त फूलों की वर्षा, दिव्य ध्वनि, अन्तरिक्ष में साढ़े बारह करोड़ देव दुन्दुभि बाजे।
किन्तु उववाई सूत्र में वर्णित अरिहन्त प्रभु के बारह गुण उक्त दोनों परम्पराओं से भिन्न हैं, जो आत्मिक गुणों के रूप में होने से अधिक संगत एवं मौलिक हैं । आगम सम्मत वे बारह गुण निम्न हैं :-
(1) अणासवे (2) अममे (3) अकिंचणे (4) छिन्नसोए (5 ) निरूवलेवे (6) ववगय पेम - राग - दोस - मोहे
(7) निग्गंथस्स पवयणं देसए (8) सत्थनायगे (9) अणंत नाणी ( 10 ) अणंतदंसी (11 ) अणंतचरित्ते (12 ) अणंत वीरियसंजुत्ते ।
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