(तर्ज : कब तक याद करूं मैं उसको)
क्यां सुधी याद करूं हं तमने, क्यां सुधी आंसु वहादुं ?, आवी मुजने मलो प्रभुजी !, हवे ना तडपावो..
हवे ना तडपावो... हवे ना तडपावो आ संसारे एक भरोसो, छे मुजने प्रभु ! तारो, तारो ना जो मुजने प्रभु ! तो, क्याथी आवे आरो,
मुज हैयानी एक विनंति, दिलमा तमे अवधारो, सेवक छुहं तारो मुजने, भवजल पार उतारो
बाल बनी पुकारु तमने, मात बनीने आवो करुणानो महासागर तुं छे, बुंद मने पण देजे, पागल बनुं हुं तारी पाछळ, एवी भक्ति देजे,
दुःखथी हारी ना हुं जाउं, एवी शक्ति देजे, सघळा बंधनोथी मुजने, मुक्त करी तुं देजे,
जनम जनमनो प्यासी हं छु, प्यास बुझावा आवो
निश्चल ने निर्मल श्रद्धा तुं, मारा हृदये भरजे, निर्मलतानो स्वामि छे तुं, मुजने निर्मल करजे,
तारा मारगथी भटकुं तो, भोमियो मारो बनजे, जीवननी प्रत्येक पळे तुं, मारी साथे रहेजे,
विनंति मारी मानो प्रभुजी, जल्दी जल्दी आवो
माश नाथ !
आ दुनियाना गीच बजारमा मारा दिवसो पसार याय, अने रोजना माश नफाथी मारा हाथ भराई जाय, त्यारे हमेशा मने एवू लागवा दे के,
मने कशो लाभ थयो नथी.
No comments:
Post a Comment